बेवड़ों के लिए बड़ी खुशखबरी, इस देश में शराब पीने के लिए निकली 10 हजार लोगों की भर्ती
स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ नवारा 10,000 वॉलंटियर्स पर 4 साल तक वाइन पीने का असर जानने के लिए रिसर्च कर रही है. इस अध्ययन से यह साफ किया जाएगा कि सीमित मात्रा में शराब पीना सेहत के लिए फायदेमंद है या नहीं.

अगर आप शराब पीने के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए काम की है. आपके पास 4 साल तक वाइन पीने का मौका है. स्पेन की एक यूनिवर्सिटी को रिसर्च के लिए दस हजार वॉलंटियर्स की जरूरत है.
दरअसल दुनिया भर में शराब को लेकर अक्सर यह सवाल उठता है – क्या थोड़ी मात्रा में शराब पीना सेहत के लिए ठीक है या इससे बीमारियों का खतरा बढ़ता है? अब इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ नवारा (University of Navarra) ने एक बेहद अनोखा और बड़ा रिसर्च शुरू किया है. इसके लिए रिसर्चर्स 10,000 वॉलंटियर्स की तलाश कर रहे हैं, जो अगले चार साल तक नियमित रूप से वाइन पिएंगे.
इस रिसर्च का नाम "University of Navarra Alumni Trialist Initiative (UNATI)" है और इसे यूरोपियन रिसर्च काउंसिल की ओर से फंडिंग दी जा रही है. यह अध्ययन यूनिवर्सिटी के प्रिवेंटिव मेडिसिन डिपार्टमेंट द्वारा किया जा रहा है, जिसमें नर्सिंग कॉलेज और कई हेल्थ एक्सपर्ट्स भी शामिल हैं.
कौन-कौन ले सकता है हिस्सा?
इस अध्ययन के लिए 50 से 70 साल के पुरुष और 55 से 75 साल की महिलाएं शामिल की जाएंगी, जो पहले से हर हफ्ते कम से कम तीन बार अल्कोहल का सेवन करते हैं. अब तक करीब 4,000 लोग रजिस्टर हो चुके हैं, लेकिन रिसर्चर्स की कोशिश है कि जून 2025 तक 10,000 प्रतिभागी पूरे हो जाएं. इच्छुक लोग प्रोजेक्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर एक हेल्थ और लाइफस्टाइल फॉर्म भर सकते हैं.
क्या करना होगा वॉलंटियर्स को?
हर तीन महीने में हेल्थ कोच से वीडियो कॉल
ईमेल से नियमित सवालों का जवाब देना
हर साल एक बार मेडिकल चेकअप कराना
मेडिटेरेनियन डाइट से मिली प्रेरणा
इस रिसर्च की प्रेरणा प्रोफेसर मार्टिनेज-गोंजालेज के पुराने अध्ययन PREDIMED से मिली, जिसमें मेडिटेरेनियन डाइट के फायदे देखे गए थे. उन्होंने बताया कि डाइट या लाइफस्टाइल से जुड़ी स्टडी में समय और बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत होती है.
क्या वाइन सेहत के लिए वाकई अच्छी है?
इस प्रयोग का मकसद यह समझना है कि क्या सीमित मात्रा में शराब पीना वाकई सेहत के लिए फायदेमंद है या यह सिर्फ समाज में स्वीकार की गई एक आदत है. खासकर कैंसर, हार्ट डिजीज और डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों पर इसका असर देखा जाएगा.
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